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मंत्रिमंडलीय प्रणाली

मंत्रिमंडलीय प्रणाली को उत्तरदायी सरकार भी कहते हैं। मंत्रिमंडलीय प्रणाली में देश की सर्वोच्च कार्यकारिणी मंत्रिमंडल के पास रहती है। इस प्रणाली की सरकार की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार हैं–

(i) दोहरी कार्यपालिका – संसदीय शासन के अंतर्गत दो कार्यकारी होते हैं, जिनमें एक नाममात्र प्रधान होता है और दूसरा वास्तविक। नाममात्र प्रधान राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। चाहे उसका नाम कुछ भी हो, परंतु उसके पास वास्तविक सत्ता नहीं होती। शासन की वास्तविक सत्ता एक मंत्रिमंडल को प्राप्त होती है, जो संसद के प्रति उत्तरदायी होता है। भारतीय राष्ट्रपति ब्रिटिश सम्राट की भाँति कार्यपालिका सत्ता का एक संवैधानिक प्रधान मात्र है तथा वास्तविक सत्ता का प्रयोग मंत्रिमंडल ही करता है।

(ii) राजनीतिक एकता – मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों का समान दृष्टिकोण होता है। वे समान रूप से अपने राजनीतिक दल के कार्यक्रम और नीतियों को कार्यरूप देने का यत्न करते हैं। वे शासन में एक टीम के रूप में कार्य करते हैं।

(iii) प्रधानमंत्री का नेतृत्व – मंत्रिमंडल का नेता प्रधानमंत्री होता है। मंत्रिपरिषद का निर्माण उसी की इच्छा से होता है। सदस्यों के बीच विभागों का वितरण भी प्रधानमंत्री की इच्छा से होता है। प्रधानमंत्री को किसी भी मंत्री से त्यागपत्र देने के लिए कहने का अधिकार है।

(iv) सामूहिक उत्तरदायित्व – मंत्रिमंडल के सदस्य व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं। मंत्रिमंडल अपनी नीतियों के लिए सामूहिक रूप से उत्तरदायी होता है, किंतु कभी-कभी विभागीय मामलों में मंत्रिमंडल सामूहिक उत्तरदायित्व को स्वीकार नहीं करता और संबंधित मंत्री को उत्तरदायी ठहराता है। सामान्यत: अपनी नीतियों और राज्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कार्यों के लिए वह सामूहिक उत्तरदायित्व स्वीकार करता है। इसका अर्थ यह होता है कि मंत्रिमंडल आलोचकों को उत्तर देने के लिए तत्पर रहता है और चाहे किसी मंत्री की आलोचना क्यों न की जा रही हो, उसके सहयोगी उसकी रक्षा के लिए उपस्थित होते हैं।

(v) गोपनीयता – मंत्रिमंडल की कार्यवाहियों की गोपनीयता भी इस शासन प्रणाली की विशेषता है। भारत में गोपनीयता की इस संस्था के अनुसार अनुच्छेद 75 के अंतर्गत पद ग्रहण करने के पूर्व प्रत्येक मंत्री को गोपनीयता की शपथ लेनी होती है। संवैधानिक दृष्टि से प्रत्येक मंत्री इस बात के लिए बाध्य होता है कि वह मंत्रिमंडल के किसी भी भेद को प्रकट नहीं करेगा।

(vi) विधायिका तथा कार्यपालिका का घनिष्ठ संबंध – मंत्रिमंडल विधायिका के दोनों सदनों का प्रतिनिधित्व करता है तथा मंत्रिमंडल के सदस्यों के लिए यह आवश्यक है कि वे संसद के किसी भी सदन के सदस्य हों। मंत्रिमंडल के उत्तरदायित्वों का मूल्यांकन सदन मंत्रिमंडल से मंत्रियों के विभाग के शासन के बारे में प्रश्न पूछकर कर सकता है, मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्तुत बजट को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है, अविश्वास का प्रस्ताव पारित करके मंत्रिमंडल को हटा सकता है। मंत्रिमंडल स्वयं सदन को भंग करवा सकता है। लास्की मंत्रिमंडल को संसद का स्थायी समिति कहता है। इस प्रकार मंत्रिमंडलीय प्रणाली के अंतर्गत शासन की कार्यपालिका और व्यवस्थापिका एक अभिन्न सूत्र में संबद्ध होती हैं।

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