राजस्थान, भारत का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा रेगिस्तानी और अर्ध-रेगिस्तानी है। यहाँ की जलवायु शुष्क होने के कारण कृषि मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर करती है, जो कि बहुत अनियमित होती है। इस समस्या को हल करने और राज्य के विकास को गति देने के लिए, विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण किया गया है। ये परियोजनाएं न केवल कृषि को बढ़ावा देती हैं, बल्कि पेयजल की आपूर्ति और औद्योगिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
यह लेख राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं को सरल और नोट्स के रूप में प्रस्तुत करता है।
1. इंदिरा गांधी नहर परियोजना (Indira Gandhi Canal Project)
यह परियोजना राजस्थान की जीवनरेखा मानी जाती है। इसका पुराना नाम ‘राजस्थान नहर’ था।
- उद्देश्य: इस नहर का मुख्य उद्देश्य राजस्थान के थार रेगिस्तान में पानी पहुँचाना और शुष्क क्षेत्रों को हरा-भरा बनाना है। यह दुनिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित नहरों में से एक है।
- उद्गम: यह नहर पंजाब में सतलुज और ब्यास नदियों के संगम पर बने हरिके बैराज से निकलती है।
- लंबाई: इसकी कुल प्रस्तावित लंबाई लगभग 649 किलोमीटर है, जिसमें राजस्थान में लगभग 445 किलोमीटर है।
- चरण (Phases):
- यह हरिके बैराज से शुरू होकर राजस्थान में हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, और बीकानेर के कुछ हिस्सों तक जाता है।
- यह बीकानेर के पूगल गाँव से जैसलमेर के मोहनगढ़ तक फैला हुआ है।
- लिफ्ट नहरें: पश्चिमी राजस्थान के ऊँचे क्षेत्रों तक पानी पहुँचाने के लिए कई लिफ्ट नहरें बनाई गई हैं। इनमें से प्रमुख हैं:
- कंवरसेन लिफ्ट नहर: यह बीकानेर को पानी देती है।
- पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर: यह बीकानेर और नागौर को पानी देती है।
- गुरु जंभेश्वर लिफ्ट नहर: यह जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर को पानी देती है।
- जय नारायण व्यास लिफ्ट नहर: यह जोधपुर और जैसलमेर को पानी देती है।
- महत्व:
- रेगिस्तानी क्षेत्रों में कृषि संभव हुई।
- गेहूँ, सरसों, और कपास जैसी फसलों का उत्पादन बढ़ा।
- पेयजल की समस्या का समाधान हुआ।
- वनस्पति और वन्यजीवों के लिए अनुकूल वातावरण बना।
- रेगिस्तान के विस्तार को रोकने में मदद मिली।
2. चंबल घाटी परियोजना (Chambal Valley Project)
यह राजस्थान और मध्य प्रदेश की एक संयुक्त परियोजना है। इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन और मिट्टी के कटाव को रोकना है।
चरण (Phases): यह परियोजना तीन चरणों में पूरी हुई और इसमें चार बांध बनाए गए।
- मध्य प्रदेश में गांधी सागर बांध का निर्माण किया गया।
- राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में राणा प्रताप सागर बांध का निर्माण हुआ।
- कोटा में जवाहर सागर बांध का निर्माण हुआ, जो एक पिकअप बांध के रूप में कार्य करता है।
- कोटा में ही कोटा बैराज का निर्माण हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई के लिए पानी को वितरित करना है।
लाभ:
- कोटा, बूँदी, बारां और झालावाड़ जिलों में सिंचाई की सुविधा मिली।
- जलविद्युत का उत्पादन बढ़ा।
- चंबल नदी में पानी का बहाव नियंत्रित हुआ, जिससे बाढ़ का खतरा कम हुआ।
3. भाखड़ा-नांगल परियोजना (Bhakra-Nangal Project)
यह पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की एक संयुक्त परियोजना है।
- उद्गम: यह सतलुज नदी पर स्थित है।
- लाभ: इस परियोजना से राजस्थान के उत्तरी जिलों, विशेषकर हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर में सिंचाई होती है।
4. माही बजाज सागर परियोजना (Mahi Bajaj Sagar Project)
यह राजस्थान और गुजरात की एक संयुक्त परियोजना है।
- उद्गम: यह माही नदी पर बांसवाड़ा जिले में स्थित है।
- लाभ: यह परियोजना डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिलों के आदिवासी क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है। यह सिंचाई के साथ-साथ जलविद्युत का उत्पादन भी करती है।
5. बीसलपुर परियोजना (Bisalpur Project)
यह राजस्थान की एक बहुत ही महत्वपूर्ण पेयजल परियोजना है।
- उद्गम: यह टोंक जिले में बनास नदी पर स्थित है।
- लाभ:
- मुख्य रूप से जयपुर, अजमेर, केकड़ी, और टोंक शहरों को पेयजल की आपूर्ति करती है।
- आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई भी होती है।
6. नर्मदा नहर परियोजना (Narmada Canal Project)
यह गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान की एक संयुक्त परियोजना है।
- उद्गम: गुजरात में सरदार सरोवर बांध से निकलती है।
- लाभ: राजस्थान में यह जालौर और बाड़मेर जिलों को पानी देती है। यह राजस्थान की एकमात्र ऐसी नहर है जिसमें सिंचाई “स्प्रिंकलर सिस्टम” (फव्वारा पद्धति) से होती है।
7. जवाई बांध परियोजना (Jawai Dam Project)
यह मारवाड़ क्षेत्र की सबसे बड़ी परियोजना है।
- उद्गम: यह पाली जिले में जवाई नदी पर स्थित है।
- लाभ: यह बांध पाली और जोधपुर को पेयजल की आपूर्ति करता है। इसे ‘मारवाड़ का अमृत सरोवर’ भी कहा जाता है।
8. गंग नहर (Gang Canal)
यह राजस्थान की सबसे पुरानी नहर है।
- उद्गम: यह सतलुज नदी से पंजाब में फिरोजपुर के पास हुसैनवाला से निकलती है।
- लाभ: इसका निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था। यह मुख्य रूप से श्रीगंगानगर जिले में सिंचाई करती है, जिसने इस क्षेत्र को ‘राजस्थान का अन्न का भंडार’ बना दिया।
सिंचाई के साधन (Means of Irrigation)
राजस्थान में सिंचाई के लिए कई साधनों का उपयोग किया जाता है। इनमें से कुछ पारंपरिक हैं, जबकि कुछ आधुनिक हैं।
- कुएं और नलकूप (Wells and Tube Wells):
- राजस्थान में सिंचाई का सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख साधन है, जो उन क्षेत्रों में उपयोगी है जहाँ नहरों का नेटवर्क नहीं है।
- इनका उपयोग मुख्य रूप से जयपुर, अलवर, भरतपुर, और दौसा जिलों में अधिक होता है।
- यह भूमिगत जल स्तर (groundwater level) पर निर्भर करता है, इसलिए अधिक दोहन से जल स्तर घट रहा है।
- नहरें (Canals):
- राजस्थान में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण सिंचाई का साधन है, जिन्हें बड़े बांधों और नदियों से निकाला जाता है।
- इंदिरा गांधी नहर और गंग नहर जैसी बड़ी परियोजनाओं के कारण उत्तरी और पश्चिमी राजस्थान में सिंचाई संभव हुई है।
- तालाब (Tanks/Ponds):
- यह सिंचाई का एक पारंपरिक साधन है, खासकर दक्षिणी और पूर्वी राजस्थान में।
- यह वर्षा जल को संग्रहीत करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- उदयपुर, भीलवाड़ा, और चित्तौड़गढ़ जिलों में तालाबों से सिंचाई अधिक होती है।
- ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई (Drip and Sprinkler Irrigation):
- यह पानी की बचत करने वाली आधुनिक तकनीक है।
- ड्रिप सिंचाई पानी को सीधे पौधे की जड़ तक पहुँचाती है, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है।
- स्प्रिंकलर सिंचाई पानी को फव्वारे के रूप में छिड़कती है, जो रेतीली मिट्टी और असमान भूमि के लिए उपयुक्त है।
- नर्मदा नहर परियोजना में यह तकनीक अनिवार्य है, जिससे पानी का कुशल उपयोग सुनिश्चित होता है।
राजस्थान में सिंचाई परियोजनाओं का महत्व
- कृषि विकास: इन परियोजनाओं ने शुष्क भूमि को उपजाऊ बनाकर कृषि उत्पादन में क्रांति ला दी है।
- पेयजल: रेगिस्तानी और सूखे क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित हुई है।
- रोजगार: कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
- आर्थिक विकास: कृषि उत्पादन बढ़ने से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
- पर्यावरण सुधार: इन क्षेत्रों में हरियाली बढ़ी है, जिससे जलवायु और पर्यावरण में सुधार हुआ है।
चुनौतियाँ
- जल प्रबंधन: पानी की बर्बादी को रोकना और कुशल उपयोग सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
- लवणता (Salinity): अत्यधिक सिंचाई से मिट्टी में लवणता बढ़ रही है, जो भविष्य में कृषि के लिए हानिकारक हो सकती है।
- रखरखाव: नहरों और बांधों का नियमित रखरखाव एक बड़ी लागत और चुनौती है।
निष्कर्ष
राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएं राज्य के विकास और समृद्धि का आधार हैं। ये परियोजनाएं न केवल पानी की कमी को पूरा करती हैं, बल्कि शुष्क भूमि को जीवन देती हैं, जिससे कृषि और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए जल प्रबंधन और संरक्षण पर अधिक ध्यान देना आवश्यक है।